राजगढ़ 

#धर्म_रक्षक_क्षत्रिय_परमार_पँवार_राज_वंश

परमार/पँवार राजवंश का कालक्रम –

परमार/पँवार क्षत्रिय मुलत: अग्निवंशीय राजपुत है. इनकी उत्पत्ति माउंट आबू पर्वत से मानी जाती है. इतिहासकारो ने परमार/पँवार वंश की उत्पत्ति के कई तर्क दिए है. इतिहासकार जो भी माने, पर वास्तविक परमार वंश की उत्पत्ति आबु गढ़ से होना और राजा प्रमार इसका प्रथम राजा माना जाना सभी के लिए मान्य है.

२३२ से २१४ ई.पू. आबू पर ब्रहमहोम (यज्ञ ) हुवा. इस यज्ञ में कई क्षत्रिय शामिल हुए .ऋषियों ने सोमवेद के मन्त्र से उसका यज्ञ नाम प्रमार( परमार ) रखा . इसी परमार के वंशज परमार क्षत्रिय हुए. भविष्य पुराण के अनुसार यह परमार अवन्ती उज्जेन का शासक हुआ.

उज्जैनी सम्राट विक्रमादित्य, राजा उपेंद्र, राजा मुंज, चक्रवर्ती राजा भोज, राजा नरवर्मन् देव, राजा जगदेव पँवार आदि अनेक राजाओ ने परमार वंश के गौरव को आगे बढ़ाया. परमार वंश का मुख्य क्षेत्र राजस्थान और मालवा रहा था. आबु, उज्जैन और धार परमार/पँवार राजाओ की मुख्य राजधानी थी. इसी क्षेत्रो से देश के अन्य भागो में परमारों का विस्थापन हुआ. १३१० में मालवा पर अलाउद्दीन खिलजी के कब्जे के बाद परमार/पँवार दूसरे क्षेत्र जैसे मध्यभारत( वैनगंगा-वर्धा-ताप्ती घटी), राजस्थान, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के उन क्षेत्रो में जा बसे, जंहा या तो पहले से पँवार बसे थे या वंहा के स्थानीय राजा या जनता ने उन्हें रहने दिया.

इस समय कुछ क्षेत्र जैसे बिहार, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्रा, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान के कई छोटे-छोटे क्षेत्रो पर राजा भोज-मुंज के वंशजो का शाशन रहा परन्तु देश में कंही भी एकीकृत रूप से परमार/पँवार राजाओ का शाशन नहीं रहा. मराठा क्षत्रियों की शक्ति के उदय के पश्चात पँवार मराठा संघ में शामिल होकर हिन्दू राजशाही की स्थापना में योगदान देकर अपने पुर्वजो की मुख्य राजधानी धार को पाने में सफल रहे. और आज भी धार में पँवार/परमार राजशाही के साथ देश के अनेक हिस्सों में पँवार/परमार वंशीय लोग अपने क्षत्रिय वैभव के साथ निवास कर रहे है. पँवार, आज अग्निवंशीय राजपुत परमार वंशियो के जाती/गोत्र/कुल/खाप/वंश/उपजाती/वर्ग आदि नामो से जाने जाते है. लगभग २३०० वर्ष पुराना ये परमार/पँवार क्षत्रिय राजवंश देश के पुराने राजवंशो में से एक है.

जय परमार/पँवार क्षत्रिय वंश !!!

*जय क्षात्र धर्म*

Leave a comment